3 चीजें जो हम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत से सीख सकते हैं

3 चीजें जो हम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत से सीख सकते हैं
पहले ये क्लीयर कर दूँ कि मैं यहाँ किसी पार्टी का समर्थन या विरोध नहीं कर रहा, मेरा मकसद बस इन चुनावी नतीजों से हमारे व्यक्तित्व विकास के लिए कुछ पॉइंट्स निकालना है.



तो जैसा कि आप जानते हैं सत्ता का सेमिफिनल कहे जाने वाले 5 राज्यों में हुए विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हरा दिया है. जबकि मिजोरम और तेलंगाना में न भाजपा जीती है ना कांग्रेस.

तो कह सकते हैं कि अगर सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस की बात की जाए तो कांग्रेस ने बीजेपी को तीन जीरो से हरा दिया है.
Congress – 3

BJP- 0

इन नतीजों से हम अपने लिए कुछ सीख ले सकते हैं, आइये समझते हैं इन्हें-
परिवर्तन प्रकृति का नियम है

बदलाव होना ही होना है. दिन के बाद रात तो रात के बाद दिन आना ही आना है. MP और छत्तीसगढ़ में बीजेपी 15 साल से शाशन कर रही थी. पार्टी ने कई अच्छे काम भी किये और स्टेट को आगे बढ़ाया पर इस बार जनता ने उन्हें बदल दिया और कांग्रेस को विजयी बना दिया.
आपके जीवन में भी उतार-चढ़ाव आने ही आने हैं. आज अगर आप DOWN हैं तो उम्मीद रखिये कि कल आप UP भी होंगे.
और अगर आज आप UP हैं तो अपनी इस पोजीशन को अपनी फ्यूचर सिक्योर करने के लिए प्रयोग करिए क्योंकि कल आप DOWN भी होंगे.
इसलिए बदलाव के लिए तैयार रहिये ये होना ही होना है…आज नहीं कल नहीं…कभी न कभी बदलाव होकर रहता है.

मैदान में टिके रहिये, एक दिन आप जीत जायेंगे
पूरे देश में किसी एक आदमी का अगर सबसे ज्यादा मज़ाक बनाया गया होगा तो वो सम्भवतः राहुल गांधी होंगे.
कभी जुबान फिसलने पर, कभी चुनाव हारने पर, कभी सोशल मीडिया पर, कभी अखबारों में, कभी न्यूज़ चैनल्स पर राहुल गांधी का मज़ाक बनाया जाता रहा…पर अब वही पप्पू…. पास हो गया है!
इतनी हार और इतनी इन्सल्ट के बाद किसी का मैदान छोड़ देना अस्वाभाविक नहीं होता…लेकिन राहुल गाँधी टिके रहे… वे हारते रहे पर लड़ते रहे…
और दुनिया में सबसे अधिक मुश्किल उसे हराना नही होता जो सबसे ताकतवर होता है, बल्कि सबसे मुश्किल उसे हराना होता है जो हार नहीं मानता है.

आप भी अपने जीवन में जो कुछ भी पाना चाहते हैं उसे पाए बिना हार मत मानिए. मैदान में टिके रहिये, एक दिन आप जीत जायेंगे.
सब्र का फल मीठा होता है
मोदी लहर और बीजेपी के लगातार चुनाव जीतने से ऐसा लगने लगा था कि सचमुच यह पार्टी “कांग्रेस मुक्त भारत”का निर्माण कर देगी. और इसी के चलते विभिन्न दलों के कई नेता अपनी-अपनी पार्टियों को छोड़ कर बीजेपी में चले गए.
चाहते तो कमलनाथ, सिंधिया, गहलोत और पायलट भी यही कर सकते थे. बीजेपी उन्हें हाथों-हाथ लेती है और ऊँचे पदों पर भी रखती पर उन्होंने ऐसा नहीं किया और उसी का परिणाम है कि आज वो अपने-अपने राज्यों में शिखर पर हैं.
दोस्तों, कई बार हम कुछ शुरू करते हैं और सोचते हैं कि हमें जल्दी से सक्सेस मिल जाए…हम सब्र नहीं रखते… और एक काम से दूसरे काम…एक आईडिया से दूसरे आईडिया पर कूदते रहते हैं और अंत में कुछ बड़ा नहीं अचीव कर पाते हैं.
इसलिए अगर आप किसी चीज में बिलीव करते हैं तब उसे छोडिये नहीं सब्र रखिये एक दिन आप भी मान जायेंगे कि सब्र का फल मीठा होगा.

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