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जनवरी, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हाय मेरे देश का सिस्टम ..!!

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क्या भारत का सिस्टम आम जनता को धोखा देता है ...??? आप खुद देखिये.... 1- नेता चाहे तो 2 सीट से एक साथ चुनाव लड़ सकता है !! लेकिन.... आप दो जगहों पर वोट नहीं डाल सकते, 2-आप जेल मे बंद हो तो वोट नहीं डाल सकते.. लेकिन.... नेता जेल मे रहते हुए चुनाव लड सकता है. 3-आप कभी जेल गये थे, तो अब आपको जिंदगी भर कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी, लेकिन.... नेता चाहे जितनी बार भी हत्या या बलात्कार के मामले मे जेल गया हो, वो प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति जो चाहे बन सकता है, 4-बैंक में मामूली नौकरी पाने के लिये आपका ग्रेजुएट होना जरूरी है.. लेकिन... . नेता अंगूठा छाप हो तो भी भारत का फायनेन्स मिनिस्टर बन सकता है. 5-आपको सेना में एक मामूली सिपाही की नौकरी पाने के लिये डिग्री के साथ 10 किलोमीटेर दौड़ कर भी दिखाना होगा, लेकिन.... नेता यदि अनपढ़-गंवार और लूला-लंगड़ा है तो भी वह आर्मी, नेवी और ऐयर फोर्स का चीफ यानि डिफेन्स मिनिस्टर बन सकता है और जिसके पूरे खानदान में आज तक कोई स्कूल नहीं गया.. वो नेता देश का शिक्षा मंत्री बन सकता है और जिस नेता पर हजारों केस चल रहे हों.. वो न

पाक भडवों के नापाक इरादें....

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अरब सागर में पाकिस्तान की तरफ से आ रही एक नौका को भारतीय तटरक्षक बलों द्वारा घेरे जाने के बाद उसमें हुए विस्फोट के घटनाक्रम ने मुंबई में दुस्साहसिक आतंकी हमले की याद दिलाने के साथ ही यह भी नए सिरे से रेखांकित कर दिया कि भारत के संदर्भ में पाकिस्तान की नीति और नीयत में कोई अंतर नहीं आया है। इस नौका में सवार लोगों की बातचीत से यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया कि उनका इरादा लगभग उन्हीं तौर-तरीकों से भारत में एक बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने का था जैसा 26 नवंबर 2008 को मुंबई में किया गया था। उस समय भी दस पाकिस्तानी आतंकी एक नाव पर सवार होकर मुंबई तट पर उतरे थे और उन्होंने लगभग 72 घंटे तक तबाही मचाई थी। यह लगभग तय है कि पाकिस्तान अरब सागर की घटना में अपने लोगों का हाथ होने से इन्कार करेगा और यदि भारत उसकी भूमिका के सुबूत किसी तरह जुटा भी ले तो उसे पाकिस्तान स्वीकार नहीं करेगा। आखिर ऐसा ही तो मुंबई हमले के संदर्भ में भी पाकिस्तान ने किया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान शांति की ओर कदम बढ़ाते नहीं दिखता। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत

भारतीय स्त्रीशिक्षण कि जन्मदाता क्रांतीज्योती सावित्रीबाई ज्योतीराव फुले को विनम्र अभिवादन....

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सावित्रीबाई फुले का जीवन एक ऐसी मशाल है, जिन्होने स्वयं प्रज्वलित होकर भारतीय नारी को पही बार सम्मान के साथ जीना सिखाया। सावित्रीबाई के प्रयासों से सदियों से भारतीय नारियां जिन पुरानी कुरीतियों से जकड़ी हुई थी उन्होंने उन बंधनों से उनकों मुक्त कराया तथा पहली बार भारतीय नारी ने पुरूषों के साथ कदम से कदम मिलाकर खुली हवा में सांस ली। दलित व पिछडी जाति की महिलाओं को उनके सानिध्य में शिक्षा का अधिकार मिला। सावित्रीबाई के क्रांतिकारी प्रयासें से महाराष्ट्र में ही नहीं अपितु पुरे राष्ट्र में एक नई लहर जाग उठी। रूढि़यों से जूझने वाली साहसी सावित्रीबाई का जन्म 3.1.1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में नायगांव के छोटे से देहात में हुआ था। आपके पिता खंडोजी नेवसे पाटिल पेशवाकालिन ईमानदार कुलों में से थे। बचपन से ही समाज सेवा, धीर गम्भीरता तथा शूरता जैसे लोकोत्तर गुण आप में विद्यमान थे। ई.स. 1840 के शुभ मुहुर्त पर नायगांव में ज्योतिबा फुले तथा सावित्री बाई का विवाह सम्पन्न हुआ। आप दोनों की शादी में समाजोन्मुख दो महाशक्तियों का मिलन हुआ। तुफानों से टकराने की क्षमता व हर बाधाओं और संकट से लोहा लेने की