संदेश

जनवरी, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वामी विवेकानंद जी युवा युग प्रवर्तक

 भारत एक ऐसा देश है जहां धर्म को लेकर कोई सवाल उठाने से पहले सौ बार सोचता है। 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में जन्मे स्वामी विवेकानंद ने धर्म को विज्ञान के नज़र से देखने का नया नज़रिया दिया। कहा जा सकता है कि आधुनिक भारत की नीव अगर किसी ने रखी तो वह विवेकानंद ही थे।विवेकानंद ने पूरी दूनिया में हिंदू धर्म को लेकर एक नयी परिभाषा गढ़ी। विवेकानंद ने संसार को भारतीय दर्शन और वेद का पाठ पढ़ाया, जिसके सामने पूरी दुनिया नतमस्तक हो गई। हलांकि उनका जीवनकाल काफी ज़्यादा नहीं रहा और वो महज़ 39 साल की उम्र में दुनिया से विदा हो गए थे। आज पूरी दुनिया में युद्ध और उन्माद फैला हुआ है वहीं विवेकानंद लोगों को शांति और भाईचारे के साथ रहने का संदेश देते हैं। भारत में आज जहां धर्म को लेकर उत्तेजक माहोल बनाया जा रहा है वहीं विवेकानंद की विचारधारा धर्म में आज़ादी की बात करती है। 1893 ई. में जब अमेरिका के प्रसिद्ध शिकागो में विश्व धर्म संसद का आयोजन किया गया तो भरत की तरफ से विवकानंद इसमें हिस्सा लने पहुंचे। इस धर्म संसद में दुनिया भर से अलग-अलग धर्मों के विद्वानों ने हिस्सा लिया लेकिन जब विवेकानंद ने सबके सामने

हरले भीमराय माझे हरले शिवराय

अर्रे ज्यांनी अखिल महाराष्ट्राचे भूषण बनून जगाला झुकवले, त्यांचेच अनुयायी आज एकमेकांना भिडले, कोण ते माथेफिरू ज्यांनी जातीने आम्हाला तोडले, अर्रे आठवा रे महार मराठे अन 18 पगड जाती एकसाथच लढले, मग आपल्याला वेगळे करणारे हे नालायक कोण हाय ??? हरले भीमराय माझे हरले शिवराय अर्रे आठवा शिवाजींच्या फौजेत जात पात होती काय ? अर्रे आठवा बाबासाहेबांनी आपल्याला संविधान दिलेलं हाय , अर्रे इंग्रजांच्या फूट पाडण्याने आपण आजही लढतो हाय , आपल्याच लढाईने माझ्या भीमाला आणि शिवाला वेदना होणार कि नाय ??? हरले भीमराय माझे हरले शिवराय अर्रे भीमकोरेगाव बी आपलंच अन् रायगड बी आपलाच हाय , जय भीम बी आपलाच आणि आपलाच जय शिवराय , कोण एक बोटाचा आणि आपल्याला ' भिडे'कवत हाय , आपली झालेली एकी त्यांना पाहवत नाय , मी मराठा तू महार असला तरी तुझ्या माझ्यात नातं भावाचं हाय , हरले भीमराय माझे हरले शिवराय अर्रे एका छाताडावर माझ्या शिवबा एका छाताडावर भीम हाय , तुझी अन माझी माती एकचं, एकचं मराठी माय मग का रे आपण आज दुष्मन व्हावं सांग आपल्यात फरक काय ? अ