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जीतने की आदत

आप विजेता हो, जीतने की आदत बना डालो, अपनी कमजोरियों को ही अपनी ताकत बना डालो। यह काम है मुश्किल , कहते हैं हारनेवाले, आप हर मुश्किल को आंसा और मुमकिन बना डालो। बहाने है बहुत , हारनेवालों की किस्मत में, आप हर बहाने को ही निशाना बना डालो | हारने वाले करेंगे काम कल -परसों, आपको जो भी करना है, बस आज कर डालो | हारना या जीत , फ़र्क़ बस एक नजरिये का, उन्हें खाली की चिंता है, आप भरकर दिखा डालो। आप विजेता हो, जीतने की आदत बना डालो...! शाम गौड़ Best of luck Click here to Like my Page be continue

नेता होशियार देश लाचार

1000,500 के नोटों को तो बंद कर दिया पर मंदिरों, ज्वेलर्स और कई जगह पर चल रहे इस गोरख धंदे का क्या? काले का सफ़ेद black to white करने वाले पैसे के इन दलालों का क्या? क्या वाकई में यह बदलाव गरीब और सर्वसामान्य जनता हितार्थ के लिए किया गया हैं..? अचानक इस तरह देश में काले धन की समस्या से निपटने के लिए मोदीजी द्वारा किया गया यह प्रयत्न नाकामयाब दीखता नजर आ रहा है! इसमें पीस रहे है तो सिर्फ हम जैसे सामान्य गरीब और लाचार लोग . और फायदा हैं तो भ्रष्टाचारी नेताओं,उद्योगपतियों का जिन्हें बहोत ही आसानी से काले का सफ़ेद करने के अनेक रास्ते  मिल जा रहे हैं. कल भी रस्ते पर बैंको के बाहर सर्वसामान्य बेबस गरीबों की लाइन थी और आज भी है.. कोई काले धन वाला उद्योगपति ,मंत्री ,संत्री , परेशान नहीं सभी के पास विकल्प हैं काले धन को सफ़ेद करने का! गरीब तो हाथ में कमाये हुए चंद पैसे होकर भी आज के राशन भराने के लिए अपनी भूख मार कर बैंको के बहार लाइन में खड़ा है😢 यह बदलाव कोई विशेष वर्ग के उच्चवर्गीय लोगों के लिए हैं? या यह बद

करारा जवाब सलमान खान को

https://youtu.be/AxvgIW_5flM SRG शाम गौड़: सलमान खान को करारा जवाब जरूर देखें और शेयर करें... कट्टर हिंदुस्तानी जय हिंद 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

ये आझादी झूठी हैं

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ये आझादी झूठी हैं देश की जनता भूखी हैं---- (क्रन्तिकारी साहित्यक अण्णाभाऊ साठे ) बड़े शहरों के साथ-साथ आपको छोटे शहरों में भी हर गली नुक्कड़ पर कई राजू-मुन्नी-छोटू-चवन्नी मिल जाएंगे जो हालातों के चलते बाल मजदूरी की गिरफ्त में आ चुके हैं। और यह बात सिर्फ बाल मजदूरी तक ही सीमि‍त नहीं है इसके साथ ही बच्चों को कई घिनौने कुकृत्यों का भी सामना करना पड़ता है। जिनका बच्चों के मासूम मन पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है। वैसे तो देश के कई राज्यो में सरकारी व निजी संस्थाये और NGO इस विषय पर कार्यरत है फिर भी बाल मजदूरी को रोक पाने में यह निष्क्रियता कायम हैं | माना जा रहा है कि आज 60 मिलियन से ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी के शिकार हैं, अगर ये आंकड़े सच हैं तब सरकार को अपनी आंखें खोलनी होगी। आंकड़ों की यह भयावहता हमारे भविष्य का कलंक बन सकती है।  भारत में बाल मजदूरों की इतनी अधिक संख्या होने का मुख्य कारण सिर्फ और सिर्फ गरीबी है। यहां एक तरफ तो ऐसे बच्चों का समूह है बड़े-बड़े मंहगे होटलों में 56 भोग का आनंद उठाता है और दूसरी तरफ ऐसे बच्चों का समूह है जो गरीब हैं, अनाथ हैं, जिन्हें पेटभर खाना भी नसीब नही

ये अंग्रेजो के भी बाप निकले

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⚫ निषेध ! निषेध ! निषेध ! ⚫ दो चक्कों व चार चक्कों वाहनों का दंड पाच गुना से बीस गुना बढ़ाने वाले सरकार का सामान्य नागरिकोँ को छोटी गलतियों के लिए भी इतना दंड योग्य है क्या? यही है क्या अच्छे दिन वाली सरकार? ये तो अंग्रेज़ो के भी बाप है ! साहब लाल बत्ती की गाडी में बैठे आपने कभी खुद सीट बेल्ट लगाया हो ये याद है क्या ?? कभी आपकी लाल बत्ती वाली गाड़ी किसी लाल सिग्नल पर रूकती है क्या? रास्तों पर ट्राफिक इतनी रहती है की गाडी दस के स्पीड में भी भागती नहीं, फिर क्या उपयोग ये सीट बेल्ट और हेल्मेट का? सिर्फ शो-पीस की तरह? ट्राफिक की समस्या रास्तों की समस्याओं का निवारण करने की बजाय आप दिनों दिन सिर्फ दंड बढ़ाते जा रहे है । इसीलिये देश की जनता ने आपको चुना है? पार्किंग की सुविधा न होने की वजह सेे आज भी लाखों वाहन रास्तो पर पार्क की जाती है, इसके लिए क्या किया हैं अभी तक ? अब से तो नो पार्किंग की जगह से उठाएं जाने वाले वाहनों का दंड भी पाँच गुना बढ़ेगा, फिर इसके लिए हकीकत में जबाबदार कौन? ये दंड हम क्यों भरे..! इस बढे हुए दंड की सबसे ज्यादा मार टू व्हीलर मोटरसायकल चालको को भुगतनी पड़ेगी

गोहत्याबंदीला सर्वोच्च न्यायालयाने मान्यता का दिली?

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🙏क्रुपया लेख पुर्ण वाचा 🙏 गोहत्याबंदीला सर्वोच्च न्यायालयाने मान्यता का दिली? (ले० सांस्कृतिक वार्तापत्र) "गोहत्या बंदी" हा लढा कोण्या हिन्दू साधूचा, rssचा, नाही. 'स्वदेशी आंदोलन' हे अत्यंत तर्कशुद्ध यशस्वी आंदोलन देशभर नेणाऱ्या कै.ड़ॉ राजिव दीक्षित यांचा हा यशस्वी न्यायालयीन लढा आहे. (एक मुसलमान कसाई महंमद कुरेशी ह्याच्या विरुद्ध डॉ. राजीव दीक्षित ह्यांनी गोहत्येच्या विरोधात सर्वोच्च न्यायालयातील जिंकलेल्या दाव्याची ही माहिती तुम्हाला उद्बोधक वाटेल. – प्रा० मनोहर राईलकर) आपल्या देशाच्या शेतीच्या दृष्टीनं, जमिनीचा कस सुधारण्याकरता, राष्ट्रीय इंधनाची बचत करण्याकरता, प्रदूषण कमी करण्याकरता, स्वस्त औषधांकरता, अशा विविध कामाकरता गोवधबंदी आवश्यक आहे. त्या मागणीचा हिंदु किंवा मुसलमान धर्मांशी काडीचाही संबंध नाही. पण, हिंदूंच्या गटाकडून आलेली मागणी म्हणजे ती जातीय तरी असणार, नाही तर अंधश्रद्धेवर आधारित असणार, नाही तर तिच्या मागं काही तरी छुपा राजकीय कार्यक्रम असणार, अशी आवई उठवायची. आणि उलटसुलट वेडीवाकडी चर्चा घडवून गोंधळ उत्पन्न करायचा अशी प्रथा गेली काही वर्षं आपल्